खुदगर्जी के जमाने में काश एक बार तो खुदगर्ज होते हम ना खोते कुछ, ना रोते तब, ना होते अश्क आसूंओं के ना होता इश्क़ ना होती मोहबब्त ना होते तलब तलाक के ना होते खुदगर्ज ना होती खुदगर्जी बस होते दो पल प्यार के खुदगर्जी