वो जवां हुए जब से इस तरह सवरते है जैसे फूल शबनम में डूब के निकलते हैं यू तो बज्म में उनके सैकड़ों है दिवाने देखना है ये अब वो किससे प्यार करते हैं खूने दिल मेरा करके नाजिसे ये फरमाये हम जहाँ भी जाते हैं कत्लेआम करते हैं इस कदर है अलबेले उनके रेशमी गेशु रात को बिखरते है सुबह को संवरते है हम को भूलने वाले ये खबर भी है तुमको हम तेरी जुदाई में रोके आहे भरते है प्यार करने वाले की जान लेती है शम्मा जाने क्यों ये परवाने इस शमा पे मरते हैं ऐ हुनर है नाज इतना क्यों उन्हें जवानी पर ऐसे सैकड़ों सूरज चढते है उतरते है