लिखूंगी जब अपनी दास्तां बर्बाद ज़िन्दगी की ,,,,,,, 18साल की एक लड़की की शादी कर दी जाती। गई ससुराल बड़े अरमानों के साथ ,,,, वह थी थोड़ी सी दुःखी बाकी थोड़ी खुश थी। नासमझ थोड़ी और नादान बहुत थी। एक चेहरे के पीछे दो चेहरे होते है ,,,,, इससे वो अनजान थी। सबका सुनती ही सबका करती थी। फिर भी घर के औरत ही उसके ऊपर अत्याचार करती थी। दहेज के लिए कभी मारते , तो कभी बीमार हो गई तो दवा ना कराते । की जब इन सब बातो का विरोध वह लड़की कर दिया गया उसे समाज में जलील ,,, रोती रही चीखती रही सुन कर उसका साथी भी अनदेखा कर दिया,,, वहीं तो बहसी दरिंदा था जो हर रात लड़की को बिस्तर में लेके उसके इज्जत के साथ अपनी हवस मिटाई । जब जरूरत पड़ी उस लड़की को साथ की तो भरे समाज में इज्जत उतार दिया। कलंकित करके छोड़ दिया ,, दर - दर के ठोकर दिया उस लड़की को भरे समाज में जलील कर छोड़ दिया ,, कहां बची उस लड़की की इज्जत क्या यही समाज है।। आज तक उस लड़की को न्याय नहीं मिला हो गई वो बड़ी लाचार बेसहारा । Written by Reena prajapati ✍️ IG-diaryeena ©Diaryreena #लिखूंगी जब दास्तां अपनी बर्बाद ज़िन्दगी की,,,,