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ख़ुद को शिनाख़्त करने की दिल-ए-आरज़ू ख़ूब रही, दौर-ए-म

ख़ुद को शिनाख़्त करने की दिल-ए-आरज़ू ख़ूब रही,
दौर-ए-मसरूफ़ियत में क्या उलझें उलझतें चले गए। क्यों करें दूसरों को शिनाख़्त ख़ुद से महरूम रह रह कर,
जो ख़ुद से न मिल सकें तो किसी और से क्या मिल सकेंगे।



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ख़ुद को शिनाख़्त करने की दिल-ए-आरज़ू ख़ूब रही,
दौर-ए-मसरूफ़ियत में क्या उलझें उलझतें चले गए। क्यों करें दूसरों को शिनाख़्त ख़ुद से महरूम रह रह कर,
जो ख़ुद से न मिल सकें तो किसी और से क्या मिल सकेंगे।



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nazarbiswas3269

Nazar Biswas

New Creator

क्यों करें दूसरों को शिनाख़्त ख़ुद से महरूम रह रह कर, जो ख़ुद से न मिल सकें तो किसी और से क्या मिल सकेंगे। #hindipoetry #twoliner #nazarbiswas #yqdidi #busylife #oldsoul