===================== *ज़िंदा मेरी आवाज़ होगी* ===================== लो आ गयी, आज वो भी घड़ी। ले जाने को मुझे, है देवों की सवारी खड़ी।। तुम सबको भी मुझे भेजने की है जल्दी पड़ी। फिर क्यों बह रही है आँखों से, ये आँसुओं की लड़ी ? जो भी आया है इस जग में, उसे एक दिन जाना ही है। कितना भी अजीज़ हो, अंततः वो कपड़ा फट जाना ही है।। मेरी सूरत को शायद अब, तुम कभी न देख पाओगे। पर बोलो मेरी मासूम मुस्कान को, कैसे दिल से मिटा पाओगे? राहों में कभी भी, जब ख़ुद को उलझा पाओगे। याद कर लेना मेरी बातों को, यक़ीनन मंज़िल तक पहुँच जाओगे।। आख़िरी वादा दो, मेरे लिए न कभी ख़ुद को तुम रुलाओगे। मुश्किलों में भी हँसते रहोगे, और अपनों को भी हँसाओगे।। आख़िरी संदेश में मुझे, बस इतना ही कहना है। यहाँ न होकर भी, मुझे तुम सबके दिलों में रहना है।। हर ग़म में तुम्हारे साथ, ये *मुस्कान* होगी। करोड़ों की भीड़ में भी गूँजती, मेरी रूह की ये आवाज़ होगी।। मेरे मर जाने पर भी ज़िंदा, मेरी रूह की आवाज़ होगी।। ©Muskan Satyam A hypothetical poem written for a writing contest on the topic "The last message to world on your final day." Plz read full poem in caption❤️ ===================== *ज़िंदा मेरी आवाज़ होगी* ===================== लो आ गयी, आज वो भी घड़ी। ले जाने को मुझे, है देवों की सवारी खड़ी।।