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मैने एक पौधा लगाया है, अपने घर के आंगन में, रोज

मैने  एक पौधा लगाया है, अपने घर के आंगन में,
 रोज सींचती हूं उसे, अपने स्नेह भरे हाथो से!
 एक मां की तरह  उसका ख्याल रखती हूं,
 जब उसे भूख लगती है, तो पानी  से उसकी तृप्ति करती हूं उसकी सुरक्षा के लिए जरूरत पड़े तो गुड़ाई भी करती हूं!
 इस पौधे के बीज के साथ,
 मैने अपनी ममता का बीज भी बोया है !
तो क्या हुआ!
 कि मैं एक संतान को जन्म न दे सकी किन्तु 
मैं मां फिर भी बन सकती हूं!
एक मां  का ह्रदय जो  रखती हूं!!

©Miss Poonam.PP #poetryunplugged 

एक माँ की कहानी
मैने  एक पौधा लगाया है, अपने घर के आंगन में,
 रोज सींचती हूं उसे, अपने स्नेह भरे हाथो से!
 एक मां की तरह  उसका ख्याल रखती हूं,
 जब उसे भूख लगती है, तो पानी  से उसकी तृप्ति करती हूं उसकी सुरक्षा के लिए जरूरत पड़े तो गुड़ाई भी करती हूं!
 इस पौधे के बीज के साथ,
 मैने अपनी ममता का बीज भी बोया है !
तो क्या हुआ!
 कि मैं एक संतान को जन्म न दे सकी किन्तु 
मैं मां फिर भी बन सकती हूं!
एक मां  का ह्रदय जो  रखती हूं!!

©Miss Poonam.PP #poetryunplugged 

एक माँ की कहानी

#poetryunplugged एक माँ की कहानी