मेह्फ़िल कि शान नहीं, माता-पिता का सन्मान बनने आये हैं. जिसे भुला ना सके ए जमाना, वो पेहचान बनने आये हैं. जिस पर कर सकें कोइ भरोसा, वो इमन बनने आये हैं. जो दे सके खुशि किसिको, वो इन्सान बनने आये हैं. ©vedkumar patel #Shayari #Morning