घर के आंगन का सबसे वृहद वटवृक्ष गिर ही गया.. छाया में जिसके जीवन गुजारा आज तपती तपिश में हमको छोड़ गया जिसने सांये में बचपन गुजारा जीवन संवारा वो कालचक्र के चलते रथ से थक कर उतर ही गया.. जिसके होने से रोशन था अपना जंहा.. वो जलता दिया न जाने कैसे बुझ ही गया... ईश्वर का बनाया विधान है जो आया वो जायेगा कर्म का पाठ सिखाकर,पर वो रहनुमा चुपके चुपके गुजर गया.. ©Yogita Harne # दादा