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अंग्रेजों के थे पराधीन तब तंत्र भी थे उनके अधीन ।

अंग्रेजों के थे पराधीन 
तब तंत्र भी थे उनके अधीन ।
 देकर वीरों ने अपनी जान 
स्वाधीन हुए पाए थे मान।।

 जय लोकतंत्र जय संविधान
 जय लोकतंत्र जय संविधान।। 

प्रबुद्ध सुबद्ध सभा बैठी 
एक लिखित विधान बनाने को। 
नव सृजित राष्ट्र में जनहित को 
सुख और सुशासन लाने को ।
नेहरू, वल्लभ भाई, कलाम,
अंबेडकर ने लिखा विधान ।।

जय लोकतंत्र जय संविधान
जय लोकतंत्र जय संविधान।।

 है यह अखंड एका भी है 
संप्रभु भी है, समता भी है ।
है यह तटस्थ मत–पंथों से 
समरस, न्यायिक प्रभुता भी है ।
हैं  भिन्न लोग मत भिन्न मगर
समभाव है इसमें विद्यमान ।।

जय लोकतंत्र जय संविधान 
जय लोकतंत्र जय संविधान।।

©Madhusudan Shrivastava #RepublicDay गणतंत्र दिवस
अंग्रेजों के थे पराधीन 
तब तंत्र भी थे उनके अधीन ।
 देकर वीरों ने अपनी जान 
स्वाधीन हुए पाए थे मान।।

 जय लोकतंत्र जय संविधान
 जय लोकतंत्र जय संविधान।। 

प्रबुद्ध सुबद्ध सभा बैठी 
एक लिखित विधान बनाने को। 
नव सृजित राष्ट्र में जनहित को 
सुख और सुशासन लाने को ।
नेहरू, वल्लभ भाई, कलाम,
अंबेडकर ने लिखा विधान ।।

जय लोकतंत्र जय संविधान
जय लोकतंत्र जय संविधान।।

 है यह अखंड एका भी है 
संप्रभु भी है, समता भी है ।
है यह तटस्थ मत–पंथों से 
समरस, न्यायिक प्रभुता भी है ।
हैं  भिन्न लोग मत भिन्न मगर
समभाव है इसमें विद्यमान ।।

जय लोकतंत्र जय संविधान 
जय लोकतंत्र जय संविधान।।

©Madhusudan Shrivastava #RepublicDay गणतंत्र दिवस