तलाश-ए-मोहब्बत है तू मेरी, तू ही मेरा अब हासिल है। कोई और नहीं मेरे इस दिल में, तू ही मुझमें शामिल है। है इश्क़ मेरा अब तू दिलबर, तू मेरी चाहत का दिल है। तू ही जुस्तजू इस दिल की, तू ही आरज़ू-ए-कामिल है। साँसों की शिरक़त के जैसी, धड़कन में तू शामिल है। दिल तुझमें ही खोना चाहे, जैसे तू कोई महफ़िल है। मैं रोज तुझे ढूँढ़ता रहा, तू मेरी चाहत की मंज़िल है। अहसास तुझे होने न दिया, कितना तू मुझमें शामिल है। तुझको तो मैंने अपना माना, पर तू कितनी संगदिल है। अब दूर मुझसे क्यूँ रहती है, जैसे तू कोई क़ातिल है। हर साँस में मेरी तू बसी, तुझ बिन जीना मुश्किल है। समझाऊँ तुझे कैसे सनम, तुझसे जुड़ा मेरा दिल है। तेरे बिना अब जाऊँ कहाँ, तुझसे तो मेरा हर दिन है। कोई और नहीं मेरे इस दिल में, तू ही मुझमें शामिल है। तुझसे मेरा प्यार मुक़म्मल, तू मेरे इश्क़ के क़ाबिल हैं। तुझ बिन मेरा न वज़ूद कोई, तुझसे ही अब साहिल है।— % & ♥️ Challenge-848 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।