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कबीर सांची हौं कहूं, जप-तप में कछु नाहि। कर्मकांड-

कबीर सांची हौं कहूं, जप-तप में कछु नाहि।
कर्मकांड-पाखंड में, 
सब जन को भरमाहि।।

©Vijay Vidrohi
  #_कबीर_दोहा_शैली