हुई सुबह , चली रिक्शा!! मुर्गे की बांग, तिरंगे की शान!! निकला सुरज, उठा समाज!! चहकती चिड़ीया, बहता दरिया!! खुला आसमा, बढ़ता तापमान!! चलती बसे, लम्बे रस्ते, बच्चों के बस्ते , चले वो हंसते!! गाडियों का शोर, नाचता मोर!!