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बदलते वक़्त ने सब का रँग-ढंग मिज़ाज़ बदल दिया, गुज़रता

बदलते वक़्त ने सब का रँग-ढंग मिज़ाज़ बदल दिया,
गुज़रता था बचपन नानी-दादी के किस्से सुनते-सुनाते!

परिवार टूटे प्यारे रिश्ते छूटे, छूटा वो चहकता बचपन,
ख़ामोश बचपन के, गुज़रते नहीं दिन अब हँसते-हँसाते! समय सीमा : 21.01.2021
                  9:00 pm
पंक्ति सीमा : 4
 
काव्य-ॲंजुरी में आपका स्वागत है।

आइए,
मिलकर कुछ नया लिखते हैं,
बदलते वक़्त ने सब का रँग-ढंग मिज़ाज़ बदल दिया,
गुज़रता था बचपन नानी-दादी के किस्से सुनते-सुनाते!

परिवार टूटे प्यारे रिश्ते छूटे, छूटा वो चहकता बचपन,
ख़ामोश बचपन के, गुज़रते नहीं दिन अब हँसते-हँसाते! समय सीमा : 21.01.2021
                  9:00 pm
पंक्ति सीमा : 4
 
काव्य-ॲंजुरी में आपका स्वागत है।

आइए,
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anitasaini9794

Anita Saini

Bronze Star
New Creator

समय सीमा : 21.01.2021 9:00 pm पंक्ति सीमा : 4 काव्य-ॲंजुरी में आपका स्वागत है। आइए, मिलकर कुछ नया लिखते हैं, #yqbaba #yqdidi #YourQuoteAndMine #प्रतियोगिता #काव्य_ॲंजुरी #ख़ामोशबचपन