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कुछ भूली बिशरी यादों का सामना हुआ ज़ब किताब का वर्क

कुछ भूली बिशरी यादों का सामना हुआ
ज़ब किताब का वर्क पलटा मैंने
वो खत आज भी आज भी
 वैसे ही है जैसे किताब के पन्नो मे
छोड़ा था मैंने
हाथ मे कंपन हो रही थी लब सुख रहे थे
ज़ब खत को पढ़ा मैंने... वो भूली बिशरी

©फिरोज़
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