17 वीं शताब्दी में भारत दुनियाभर के अमीर देशों में से एक था। 1707 ई. में औरंगजेब की मृत्यु के बाद - मुग़ल साम्राज्य सूबेदार और जागीरदारों के हाथ में चला गया। वे आपस में लड़ने लगे। 1739 में नादिरशाह के आक्रमण और 1761 में अहमदशाह अब्दाली के हमले ने मुग़ल साम्राज्य को तबाह कर दिया। 1857 ई.तक बहादुर शाह जफ़र नाममात्र का सम्राट रहा। मराठों ने मुगलों की सुरक्षा का दायित्व ले रखा था वे पेशवाओं के सहारे अपनी शक्ति का विस्तार कर रहे थे। 14 जनवरी 1761 में अहमदशाह अब्दाली से मराठों ने पानीपत की तीसरी जंग लड़ी जिसमें अहमदशाह अब्दाली जीत गया। अगर मराठे जीत गए होते तो अंग्रेज उनसे लोहा लेने का साहस नहीं करते। ख़ैर- अवध- 1728 ई. में सूबेदार सादत ख़ाँ (मीर मुहम्मद अमीन ) ने मुग़ल साम्राज्य से अलग हो स्वतंत्र राज्य बना लिया। उसके बाद उसका भतीजा सफ़दर जंग नबाब बना इसकी मृत्यु के बाद पुत्र शुजाउद्दौला अवध का नवाब बना। 1764 ई. में बक्सर का युद्ध कर हार गया और इलाहाबाद की सन्धि कर ली। वह ईस्टइंडिया कम्पनी का आश्रित बन गया जिसे - 1801 में वेलेजली ने सहायक सन्धि की और 1856 में डलहौजी ने ब्रिटिश साम्राज्य में मिला लिया। : #पाठकपुराण #yqdidi #yqhindi #राजस्थान_के_इतिहास_की_झलकियाँ_1 5