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उसके जैसा कहीं क्यों मुझे, कोई प्यारा नहीं दिखता?

उसके जैसा कहीं क्यों मुझे, कोई प्यारा नहीं दिखता?
मेरे अश्क़ों को अब, चश्मों का किनारा नहीं दिखता !
लौट आता हूँ छत से मायुस हो इंतज़ार कर करके पर
छत से मेरी अब बचपन का, वो सितारा नहीं दिखता!
DR mehta



                            दोस्ती बचपन की...... meri dost bachpan ki Ritika Shaw Ritu
उसके जैसा कहीं क्यों मुझे, कोई प्यारा नहीं दिखता?
मेरे अश्क़ों को अब, चश्मों का किनारा नहीं दिखता !
लौट आता हूँ छत से मायुस हो इंतज़ार कर करके पर
छत से मेरी अब बचपन का, वो सितारा नहीं दिखता!
DR mehta



                            दोस्ती बचपन की...... meri dost bachpan ki Ritika Shaw Ritu