याद आएगा खेतिहर, किसान दिवस के बहाने फ़िक्र में लिखे जाएँगें आज हजारों अफ़साने! सबको सुविधा संपन्न करने वाला ख़ुद यतीम है फिरेंगे उसके भी दिन उसे आज भी यक़ीन है! किसान! निश्छल प्रेम की बहती गँगा सा है वो प्रकृति से छला गया आधा भूखा-नंगा सा है वो! मख़मली बिस्तरों पर सोने वालों की झूठी बातें, फटी-टूटी रज़ाई में कैसे कटती किसानों की रातें! हर बार सर्दी में ख़रीदते हो तुम नए-नए ऊनी शॉलें कपास उगाने वाले ने बरसों से नहीं ख़रीदे दुशाले! एक दिन करके नाम उसके सबने फ़र्ज़ निभा डाले, कितना दूभर जीवन कभी मिटते नहीं पाँव के छाले! ब्रैंडेड कपड़े सब अमीरों के नाम पेटेंट हो गए, धागा बुनने वाले, दुबक के टपकते छप्पर में सो गए! सर्दी में धुँध की चादर ओढ़े, मेहनत करता भरसक, मंदिर-मस्ज़िद जाने वालों, धरती पर भगवान है कृषक! ❤️❤️राष्ट्रीय किसान दिवस ❤️❤️ #yqbaba #yqdidi #yqquotes #nationalfarmersday #feelings #thoughts #inspiration #yqhindi