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क्यों बदली चहरे की रंगत, इतने तो नहीं बदले हालात।

क्यों बदली चहरे की रंगत,
इतने तो नहीं बदले हालात।
भाई ज़रा हँस कर दिखलाओ,
काबू मे रखकर जज्बात।
जब तक फिट नही मन की स्थिति, 
कैसे संभलेगी बिगङी बात ?
यदि रखो स्वयं को सदाबहार,
फिर चिंता की ना कोई बात ?
पर इतना जागरूक भी रहना,
पीठ से ना करदे कोई घात ।
विश्वास घात की सजा यही है,
समाज मे दीखे उसकी जात ।
चलो छोङो भी,अब मुस्कुरादो,
भूल भी जाओ बीती बात ।
पुष्पेन्द्र "पंकज"

©Pushpendra Pankaj
  #Gulaab पुष्पेन्द्र पंकज

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