सुप्रभात,,
यह कहानी का दूसरा अंश है,
पिछले अंश में सीमा पोटली चुराने के लिए नटवरलाल को मना रही थी। पिछला अंश पढ़ने के लिए #मेरी_पोटली_कहानी पर जाएं।
इस तरह बार-बार मनाने पर नटवरलाल सीमा की बातों में आ गया, या यूॅं कहें कि उसकी मालामाल होने की चाहत अब पूरी होने को थी। चाहे चोरी करना पाप हो परंतु जिसे थोड़ा है और ज्यादा की तलाश है उसे किसी भी परिस्थिति में अपनी गरीबी में खुशहाल जीवन में संतुष्टि क्यों होगी भला? बिना हाथ-पैर मारे यदि धन मिलता है तो झपट के ले लो यही सिद्धांत नटवरलाल ने पाल लिया #yqdidi#yqhindi#bestyqhindiquotes#yqkahani#मेरी_बै_रा_गी_कलम