प्रताप के प्रताप में असंख्य जोश आप में, शत्रु छिन्न भिन्न था, महाराणा जी के ताप में, राजपूत राज में,शूरवीर काम में, अदम्य वीरता मिली,कीका तेरे नाम में। कौशल्य युद्ध भूमि में,तलवार भारी भारी सी, मेवाड की मिट्टी का दम,शत्रु सेना हारी थी। तलवार दो लटकती थी, दुश्मन की जां अटकती थी, करते न वार निहत्थे पर, एक उसे भी मिलती थी। हल्दीघाटी नाम से रूह कांपने लगे, प्रताप जी के नाम से,शत्रु हांफने लगे। ©Anand Prakash Nautiyal #प्रताप#महाराणा #MaharanPratapJayanti