बहुत भीड़ है बेशक इस राह पर जो मेरी मंजिल की ओर जाती है कभी कदम रुक जाते है तो कभी धड़कन बढ़ जाती है बेखौफ हो कर मेरी किस्मत बार बार मेरा इम्तिहान लेती है पर इक आशा की किरण मुझे अपनी मंजिल की ओर बढ़ा देती है मंजिल तक पहुंच कर सुकूं पाने की चाह मेरी रूह को अभी से सुकूं देती है और शायद इसलिए ही मुझे आगे बढ़ने का हौसला देती है। ©Priya Singh #aim