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बहुत भीड़ है बेशक इस राह पर जो मेरी मंजिल की ओर जात

बहुत भीड़ है बेशक इस राह पर
जो मेरी मंजिल की ओर जाती है
कभी कदम रुक जाते है 
तो कभी धड़कन बढ़ जाती है
बेखौफ हो कर मेरी किस्मत
बार बार मेरा इम्तिहान लेती है
पर इक आशा की किरण मुझे
अपनी मंजिल की ओर बढ़ा देती है
मंजिल तक पहुंच कर सुकूं पाने की चाह
मेरी रूह को अभी से सुकूं देती है
और शायद इसलिए ही मुझे आगे बढ़ने का हौसला देती है।

©Priya Singh #aim
बहुत भीड़ है बेशक इस राह पर
जो मेरी मंजिल की ओर जाती है
कभी कदम रुक जाते है 
तो कभी धड़कन बढ़ जाती है
बेखौफ हो कर मेरी किस्मत
बार बार मेरा इम्तिहान लेती है
पर इक आशा की किरण मुझे
अपनी मंजिल की ओर बढ़ा देती है
मंजिल तक पहुंच कर सुकूं पाने की चाह
मेरी रूह को अभी से सुकूं देती है
और शायद इसलिए ही मुझे आगे बढ़ने का हौसला देती है।

©Priya Singh #aim
priyasingh1490

Priya Singh

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