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वो रखता है गाड़ी बंगला ऊंचे-ऊंचे रसूख फिर भी नींद

वो रखता है गाड़ी बंगला ऊंचे-ऊंचे रसूख फिर भी नींद कहां आती है,
छप्पर में है कुछ भूखे नंगे फिर भी नींद खुद ही जिद कर सुलाती है। वो रखता है गाड़ी बंगला ऊंचे-ऊंचे रसूख फिर भी नींद कहां आती है,
छप्पर में है कुछ भूखे नंगे फिर भी नींद खुद ही जिद कर सुलाती है।
वो रखता है गाड़ी बंगला ऊंचे-ऊंचे रसूख फिर भी नींद कहां आती है,
छप्पर में है कुछ भूखे नंगे फिर भी नींद खुद ही जिद कर सुलाती है। वो रखता है गाड़ी बंगला ऊंचे-ऊंचे रसूख फिर भी नींद कहां आती है,
छप्पर में है कुछ भूखे नंगे फिर भी नींद खुद ही जिद कर सुलाती है।