कहां हर शहर हर पहर तेरा आना ढ़ूढते हैं? ना कोना ढुन्ढते है ना मयखाना ढून्ढते हैं। मेरे मुस्कराने से मुस्करा ही दोगे अपने हीं होठो का मुस्कराना ढ़ून्ढते हैं। ✍पवन ॐ शर्मा #Love #Nojotohindi #nojotonews #poyetryonline #p4pyar