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रात वो सितारों वाली थी बिखरे थे असंख्य मोती जैसे आ

रात वो सितारों वाली थी
बिखरे थे असंख्य मोती जैसे आसमान में
कोई अपनी ख्वाहिशें मांग रहा था
देखकर उनको,
कोई दुआओं में किसी अपने के लिए
फरियाद कर रहा था, 
उन सितारों को पता ही नही की
कोई तन्हाइयों में उनसे अपने दिल का हाल कह रहा था,
अपने चाहत का कुछ इस तरह इज़हार कर रहा था।

©nita kumari
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nita kumari

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