बरसातें आज भी देती हैं दखल भर दिया करती हैं पोखर नयनों के याद आने लगता है वो अलबेला सा बचपन वे दिन जब माँ मना कर दिया करती थी बारिश के दिनों में नजदीक जाने से गधेरों के ये कहकर कि बह जाओगे.. पर फिर भी करके हिमाकत केले के पातों को बनाकर के ढ़ाल मैं निकल जाया करता था छोड़ घरेलू काज सारे सिर्फ निहारने तुम्हें.. उन ढूंगों के कच्चे ऊबड़-खाबड़ पुलों को तुम पार किया करती थी घबराते हुए अपनी दीदी का हाथ थामे कभी-कभी इस जद्दोजहद के बीच नजरें उठाकर एकाएक देख लिया करती थी मुझे और मुस्करा दिया करती थी.. उन मुस्कानों की धारों में अब तलक बह रहा हूँ माँ ने सच ही तो कहा था कि बह जाओगे!! ©KaushalAlmora Song of the day : सावन बरसे तरसे दिल (फ़िल्म : दहक) #बरसातें #बारिश #रोजकाडोजwithkaushalalmora #yqdidi #पहाड़ #yqdidi #बहाव