पहुँचना कहाँ था कहाँ चलता गया मैं जितना गिरा उतना फिसलता गया मैं तूने मुझे कदम दर कदम संभाला ऐसे सारी मुशीबतों से निकलता गया मैं मुझे इल्म ना हुआ तू तकलीफ में था ख़ुश रखने के बहाने तुझसे मिलता गया मैं खुश्बूदार फूल सा दिल की बंज़र ज़मीं पर जिसकी खुश्बू से हरदम महकता गया मैं #ifuunderstand