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पहुँचना कहाँ था कहाँ चलता गया मैं जितना गिरा उतना

पहुँचना कहाँ था कहाँ चलता गया मैं
जितना गिरा उतना फिसलता गया मैं
तूने मुझे कदम दर कदम संभाला ऐसे
सारी मुशीबतों से निकलता गया मैं
मुझे इल्म ना हुआ तू तकलीफ में था
ख़ुश रखने के बहाने तुझसे मिलता गया मैं
खुश्बूदार फूल सा दिल की बंज़र ज़मीं पर
जिसकी खुश्बू से हरदम महकता गया मैं  #ifuunderstand
पहुँचना कहाँ था कहाँ चलता गया मैं
जितना गिरा उतना फिसलता गया मैं
तूने मुझे कदम दर कदम संभाला ऐसे
सारी मुशीबतों से निकलता गया मैं
मुझे इल्म ना हुआ तू तकलीफ में था
ख़ुश रखने के बहाने तुझसे मिलता गया मैं
खुश्बूदार फूल सा दिल की बंज़र ज़मीं पर
जिसकी खुश्बू से हरदम महकता गया मैं  #ifuunderstand
ajayojha9101

Ajay Ojha

New Creator