वो लंबे एक सफ़र पर निकले हैं अकेले ही अपनी डगर पर निकले हैं। कोई काला टीका लगाओ तो उनको वो घर से बन संवरकर निकले है। ये ना पूछो के क्या करके निकले हैं, बस आज तो कहर कर निकले हैं। मायूसी बहुत है मेरे शहर में आज, वो रुसवा ये सारा नगर कर निकले है। ग़र उसको देखूं तो कविता भुला दूँ, वो इश्क़ से तौबा मगर कर निकले हैं। कोई और होता तो बात और थी, वो ख़ुद से लड़ झगड़कर निकले है।। #tanukikavita #tanukikalam