दिन बीत गये तेरी ग़ज़ल सुने हुये, खामोशी को अपनी गुनगुनाओ तुम जरा..... #@कुछ तो गुनगुनाओ#@ #@मन की अपनी सुनाओ जरा#@ # नेहा #