व्क़त एक परिंदा है उड़ ही जाता हैं, व्क़्त वक्त पर ठहर ही जाता है, व्क़्त है साहब व्क़्त वक़्त पर बदल ही जाता है, अपनी खामोशी का जिक्र कैसे करू, अल्फाज़ दू या लफ्ज सी लूँ, समझौता करु हालात से या जज्बात कह दूँ, बेचैनी सी है मन मे उदास भी हूँ, व्क़्त के कोरे कागज़ पर असुओ की कलम चलाऊ या मुस्कुरा कर दर्द दफन कर दूँ, व्क़त एक परिंदा है उड़ ही जाता हैं, व्क़्त वक्त पर ठहर ही जाता है by shiwangi #व्क़्त #time mr.writer Su Hail Ansari Abdul Haq Dashing___Danish Aloneboy™️