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शजर काट रहे हैं रोज, लोग शहर और गांव के ।

शजर काट रहे हैं रोज,
   लोग शहर और गांव के ।

    शायद मोहब्बत हो गई है ,
 इन्हें छातों के छांव से ।।
~Arunesh



                                    S s R save tree save life 
shajar =🌲 tree
शजर काट रहे हैं रोज,
   लोग शहर और गांव के ।

    शायद मोहब्बत हो गई है ,
 इन्हें छातों के छांव से ।।
~Arunesh



                                    S s R save tree save life 
shajar =🌲 tree