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आंखों में नींद लिए हुए, मैं फिर भी जाग रहा खुद के

आंखों में नींद लिए हुए, मैं फिर भी जाग रहा खुद के लिए।।
दुनिया में जब कोई अपना ना मिला, फिर जीने लगे बस अपने लिए।।
सोना है एक दिन अनंत नींद में, क्यों न जग लूं इस पल के लिए।।
आंखों में दर्द है, किसी दिन मेरी भी नींद की सुबह न हो चले जाना है सब छोड़ के।।

©0 #GoldenHour #Subah #Satya #anant #Maut Sethi Ji Saloni Khanna nita kumari Dimple girl Moksha Dikesh Kanani (Vvipdikesh)
आंखों में नींद लिए हुए, मैं फिर भी जाग रहा खुद के लिए।।
दुनिया में जब कोई अपना ना मिला, फिर जीने लगे बस अपने लिए।।
सोना है एक दिन अनंत नींद में, क्यों न जग लूं इस पल के लिए।।
आंखों में दर्द है, किसी दिन मेरी भी नींद की सुबह न हो चले जाना है सब छोड़ के।।

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