खो जाता है बचपन मंजिल की और जाते जाते... रह जाता है तो बस कुछ पुरानी गलियां और कुछ पुरानी यादें... फिर लौट कर कभी वापस नहीं आती वो सुहानी बरसात... वो देर तक खेलने वाली रातें... ना खाने का पता था और ना ही मंजिल का कोई ठिकाना था... बस कुछ पुराने दोस्त थे और उनके साथ पूरा दिन का बिताना था।। ©aggarwalvivan #Friend Chouhan Saab कोबरा (A_hindushtani) Arun Shukla ( मृदुल)