हमारी परम्पराओं को तुम अपना लेना। अपने संस्कारों से मेरा घर सजा देना। मुक़म्मल हो इश्क़ तेरा यही आरजू मेरी रेगिस्तान में फूलों का बाग लगा देना। मुझे यक़ीन है तुम वह सब कर पाओगी। मेरी ख़्वाहिशों को आसमान दे पाओगी। मैं अंधेरा हूँ और तुम जीवन की रोशनी। एक दूसरे पे अपने आप को लुटा देना। तुम हो तो मैं हूँ या मैं हूँ तो तेरा वजूद है! चाहत का अपनी हमें ऐसा सिला देना। सुरूर मोहब्बत का तेरी छाया रहे उम्रभर पंछी' के घर को तुम फ़िरदौस बना देना। ♥️ Challenge-902 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।