शीर्षक-आंवला वृक्ष की हत्या आठ वर्ष बाद अपने स्कुल गया था नही था अब वो आंवला का वृक्ष जिसके नीचे थे मास्टरजी पढ़ाते जिसकी छाया हमारी शिर का छाता हुआ करती थी धूप रहें या हल्की बारिश हो गर्मी हो या सर्दी हो बैठ निचे जिसके हम सब पढ़ते थे हवा में एक डाल जिधर टूट जाती थी उधर धूप में छांव न होती थी लगा थोरा बैठ जाता उसकी ठंडी छांव में नही देख मन व्याकुल हो उठा कर दी किसी ने हत्या उसकी अब वो ठंडी छांव कॉंहा है अब वो ठंडी छांव कॉंहा है। कवि कुमार विगेश बड़गाॅव(बिहार) ©Kavi Kumar Vigesh वृक्ष की हात्या #Trees