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खुशी तुम्हारी तुम क्यूं ढूढ़ते हो करो कुछ ऐसा जो

खुशी तुम्हारी तुम क्यूं ढूढ़ते हो 
करो कुछ ऐसा जो तुम्हें खुश कर दे 

अपनी कश्ती को क्यूं लहरों में बहने देते हो
साहिल बन उसको किनारा क्यूं नहीं देते हो 

और यूं मंजिल ढूढ़ने से मिल जाती 
तो  हर इंसान मुसाफ़िर नहीं होता

©एकलव्य #anjan 
#मंजिल J P Lodhi. Gondwana sherni POOJA UDESHI Internet Jockey Anshu writer  Sethi Ji  BIKASH SINGH ram singh yadav अब्र The Imperfect Dhyaan mira