तरक्की का लिबास पहनकर भी गुरुर ना आए और पांव जमीं पर ही रहे तो समझो इंसान जमीन से जुड़ा हुआ है। धन दौलत अपार होने पर भी जो परमार्थ की राह न भूले, समझो उस इंसान में अभी भी इंसानियत निभाना बाकी है। तरक्की का लिबास पहन कर भी जो अपनों को ना भूले, तो समझो अपनों के अपनेपन में उसकी जान बसती है। तरक्की पाने के लिए दिन और रात एक करना पड़ता है, तरक्की पा कर भी जो अपना वजूद ना भूले खास होता है। ♥️ Challenge-490 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ इस विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।