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एक मेरा दीवानापन मुझे ही भारी पड़ रहा है, मेरी खामो

एक मेरा दीवानापन मुझे ही भारी पड़ रहा है,
मेरी खामोशियों का पारा कुछ यूँ चढ़ रहा है..!

मैं जितना भी क़रीब उसके होना चाहूँ,
दूरियों का दायरा बहुत अधिक बढ़ रहा है..!

मैं लिखता हूँ रोज़ उसके लिए कुछ न कुछ,
वो रूठ कर बैठा न मेरे जज़्बात को पढ़ रहा है..!

बेचैन है मन मेरा उसकी एक झलक पाने को,
और दिल है कि उल्फ़त में पड़ कर मुझसे ही लड़ रहा है..!

मैं खो बैठा हूँ सुध बुध इश्क़ में उसके,
एक वो है मेरी मौत के लिए षड़यंत्र गढ़ रहा है..!

©SHIVA KANT
  #cycle #meradiwanapan