खुद पर हर रोज यूं अहसां किये गए । बुने थे जो ख़्वाब,सारे कुर्बां किये गए । सिवा गमों के जहां कोई नहीं बसता । उस रियासत के हम सुलतां किये गए । azeem khan # सिवा गमों के जहां कोई नहीं बसता #