उनके आगोश में हमको मिला ऐसा सुकून, हम बस उनके होकर रह गए। ना हमें अपना होश रहा ना ज़माने की खबर, तुममें खोकर हम तो बेमिसाल हो गए। ।। आग़ोश ।। आ कर हम से वो, कुछ ऐसे हम-आग़ोश हो गए, शिकायतें हमारी सारी पल भर में ख़ामोश हो गए। न रही हमको जग वालों की कुछ ख़ैर-ओ-ख़बर, आते ही उन के सामने हम तो बस मदहोश हो गए। © Sasmita Nayak