''आओ-ना फिर से तुम'' वो सावन के हल्के -हल्के फुहारों मे भीगना, धूल के गुब्बारों के पीछे -पीछे दौड़ना, फूलों पर मंडराती हुई रंग -बिरंगी तितलियों को निहारना, पहली बारिश में मिट्टी का महकना और अपनी सोंधी-सोंधी खुशबू हवा के हवाले करना। ये सब यादों की अंजुलि में भरकर ख्वाबों में बसा लेता हूँ। आओ - ना फिर से तुम आज भी मैं तुम्हारा इंतजार करता हूँ।। ©OM Prakash Lovevanshi "Sangam" #ओम_प्रकाश_लववंशी_संगम #Morningvibes