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''आओ-ना फिर से तुम'' वो सावन के हल्के -हल्के  फुह

''आओ-ना फिर से तुम''

वो सावन के हल्के -हल्के 
फुहारों  मे भीगना, 
धूल के गुब्बारों के 
पीछे -पीछे दौड़ना, 
फूलों पर मंडराती हुई 
रंग -बिरंगी 
तितलियों को निहारना,
पहली बारिश में 
मिट्टी का महकना 
और अपनी सोंधी-सोंधी खुशबू 
हवा के हवाले करना।
ये सब यादों की 
अंजुलि में भरकर 
ख्वाबों में बसा लेता हूँ।
आओ - ना फिर से तुम 
आज भी मैं तुम्हारा
इंतजार करता हूँ।।

©OM Prakash Lovevanshi "Sangam" #ओम_प्रकाश_लववंशी_संगम 
Vinod mehra 

#Morningvibes
''आओ-ना फिर से तुम''

वो सावन के हल्के -हल्के 
फुहारों  मे भीगना, 
धूल के गुब्बारों के 
पीछे -पीछे दौड़ना, 
फूलों पर मंडराती हुई 
रंग -बिरंगी 
तितलियों को निहारना,
पहली बारिश में 
मिट्टी का महकना 
और अपनी सोंधी-सोंधी खुशबू 
हवा के हवाले करना।
ये सब यादों की 
अंजुलि में भरकर 
ख्वाबों में बसा लेता हूँ।
आओ - ना फिर से तुम 
आज भी मैं तुम्हारा
इंतजार करता हूँ।।

©OM Prakash Lovevanshi "Sangam" #ओम_प्रकाश_लववंशी_संगम 
Vinod mehra 

#Morningvibes