थाम लू , कि जाने दू, वो परछाई इजहार की देख लू, कि जाने दू ख्याब तेरे चाह की लिख दू, कि रहने दू नब्ज तेरे नाम की जीत लू की हार जाऊ ये बाजी इन्तजार की Thakur Sarash.........✍️ mohabbat bhi hai