अजीब दास्ताँ है ये, चाहा था जिन्हें दिल की गहराई से किसी और की माला बन गई जीवन साथी जो बनी किसी और की साथी बन गई रुसवाई के आलम में तन्हाई ने कहा अजीब दास्तां है ये जिंदगी तन्हा थी और तन्हा ही रह गई अजीब दास्तां है ये