जब दिल की ख्वाहिशें अधूरी रह जाती हैं, मन अंदर ही अंदर से टूटने सा लगता है। जिंदगी बेरंग हो कर बोझ लगने लगती है, टूटता मन और भी ज्यादा टूटने लगता है। तरसता है बीते लम्हों को दोबारा जीने में, याद करके आंँखों से अश्क बहने लगता है। बेमानी लगने लगती है औरों की कही बातें, दिल खुद पर से भी ऐतबार खोने लगता है। समझता नहीं है किसी और के समझाने पर, फिर धीरे-धीरे दिल खुद को समझाने लगता है। ♥️ Challenge-619 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।