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चल पड़े है कदम राहों की डगर पर कभी रुक रुक कर तो क

चल पड़े है कदम
राहों की डगर पर
कभी रुक रुक कर
तो कभी सरपट
हूं अभी मझधार में
पर अभी भी है
उम्मीदों का कारवां
ये राहें दुष्कर है
तो क्या यकीनन 
मंज़िल खूबसूरत होगी
ये सफ़र है मेरे अपनों का
सिर्फ मेरा अपना नहीं
थकते है कदम
इसकी परवाह नहीं
जुनून लक्ष्य का 
पथ रोशन कर रहा 
मिलेंगे साथी कभी
तो कभी अरि भी
ये साथी है पथ के
अवधि नहीं सुनिश्चित
पर साध्य है मंज़िल के
है कदमों के निशा पीछे
जो मेरी प्रेरणा को सींचे
यह सिर्फ राह नहीं है
यह मंजिलों की शुरुआत है #पथ
चल पड़े है कदम
राहों की डगर पर
कभी रुक रुक कर
तो कभी सरपट
हूं अभी मझधार में
पर अभी भी है
उम्मीदों का कारवां
ये राहें दुष्कर है
तो क्या यकीनन 
मंज़िल खूबसूरत होगी
ये सफ़र है मेरे अपनों का
सिर्फ मेरा अपना नहीं
थकते है कदम
इसकी परवाह नहीं
जुनून लक्ष्य का 
पथ रोशन कर रहा 
मिलेंगे साथी कभी
तो कभी अरि भी
ये साथी है पथ के
अवधि नहीं सुनिश्चित
पर साध्य है मंज़िल के
है कदमों के निशा पीछे
जो मेरी प्रेरणा को सींचे
यह सिर्फ राह नहीं है
यह मंजिलों की शुरुआत है #पथ
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