चाँद रात, नीली रोशनी का समा, सितारों का भी टिमटिमाना, ऊपर से हो नसीब तेरा संगाथ। रात का पहर खिला हो हसीन, चाँद भी खिला हो पूर्णिमा का, सर रख के तेरी गोदी में, करूँ में गुफ़्तगू हसीन। जी करता है यह रात कभी ना गुजरे, बस तू बोलती जाए और में सुनता जाऊँ, तेरे अल्फ़ाज़ मात्र से ही सुकून मिले मुझे सारे जहां का, और इस गुफ़्तगू से ही आँख मीचे मेरी तेरी गोदी में ही। ये चाँद रात हो सिर्फ तेरे नाम, सारी कायनात को भूल कर, सिमट जाऊँ तो सिर्फ तेरे किरदार मे, आज जो बड़े नसीब से लम्हा मिला, शायद फिर कभी मिले ना मिले। -Nitesh Prajapati ♥️ Challenge-890 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।