अब तो उलझा हुआ कश्मीर भी सुलझ गया फिर तुम अपनी ही जिंदगी को क्यों उलझाते हो, जानते हो कि नहीं हो सकती इस रिश्ते में सुलह, फिर तुम सुलह करने की जिद्द ही क्यों फरमाते हो।।