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थक गए हैं अब समझते- समझाते, ख्वाहिशें अब मर सी गई

थक गए हैं अब समझते- समझाते, ख्वाहिशें अब मर सी गई है,
अपनो के हाथों ज़ख्म मिले जो, सहम गया दिल, अम्मीदे मर सी गई है।
छोड़ो! नही चाहिए मरहम हमें, ज़ख्म हरे ही रहने दो, ये अब, अपने से लगते हैं,
एक अधूरापन है ज़िंदगी में, ज़िंदगी थम सी गई हैं, हाँ! उम्मीदें मर सी गई हैं।।

मान गए हम हार, बेजुबान हम अच्छे, हिम्मत कुछ कहने-सुनने की मर सी गई है,
जो ज़िन्दादिली थी हमारी खास, मुंह फेर गई है, शायद मर ही गई है।
छोड़ो! नही चाहिए मरहम हमें, ज़ख्म हरे ही रहने दो, ये एहसास दिलाते हैं,
सींचों चाहे कितने ही प्यार से, कुछ रिश्ते मरने की कगार पर आ जाते हैं, हाँ! फिर अकसर मर ही जाते हैं।। #ज़ख्म#छोड़ो#तनहाई
थक गए हैं अब समझते- समझाते, ख्वाहिशें अब मर सी गई है,
अपनो के हाथों ज़ख्म मिले जो, सहम गया दिल, अम्मीदे मर सी गई है।
छोड़ो! नही चाहिए मरहम हमें, ज़ख्म हरे ही रहने दो, ये अब, अपने से लगते हैं,
एक अधूरापन है ज़िंदगी में, ज़िंदगी थम सी गई हैं, हाँ! उम्मीदें मर सी गई हैं।।

मान गए हम हार, बेजुबान हम अच्छे, हिम्मत कुछ कहने-सुनने की मर सी गई है,
जो ज़िन्दादिली थी हमारी खास, मुंह फेर गई है, शायद मर ही गई है।
छोड़ो! नही चाहिए मरहम हमें, ज़ख्म हरे ही रहने दो, ये एहसास दिलाते हैं,
सींचों चाहे कितने ही प्यार से, कुछ रिश्ते मरने की कगार पर आ जाते हैं, हाँ! फिर अकसर मर ही जाते हैं।। #ज़ख्म#छोड़ो#तनहाई
ruchika7794

Ruchika

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