लो आ गई फिर हसीन वादियां... दो दिलों की शादियां ... हर किसी के पास कोई ना कोई वाजाए मैं बदनसीब हूं कि मुझसे यूं काफ्ला हैं हृदय रूपी दुआ हुई सफल बस मेरा घर छोड़कर ना चाह कार मेरे सनम निकल जाती है बद्दुआ की तुझसे ना हो किसी से प्यार बक्ष देना मुझको तू एक बार ..१ आंखों को मिलते हैं अक्श और होठों को मिलती है हंसी हर नहर जुड़ नहर से बन जाती है समंदर मेरी राहों से एक तेरी ही राह क्यों जुड़े ना तुझसे बेशुमार प्यार है मेरे सनम कोई भी ना कर सकेगा मेरे यार ...२ एक तरफा इश्क मेरा मैं जानती हूं बखूबी चाह के भी तेरा ख्याल क्यों जिगर से ना निकाल सकूं सिदक्को में कशिश है क्या है यह जानू ना पिया हर लम्हा यू आए- जाए मैं बस बूंद के रह जाऊंगा ख्वाब हर तुझे वफा में लिख ही जाती है एक मुलाकात आज का दिन भी यू बित जाएगा इंतजार में आ जाना तू ही चल कर आ जा बहुत हुआ अब...३ ©Khushbu 💕 0786 sanjeev