एक दौर था वो जब सुकून की नींद आ जाया करती थी, ना कोई फिकर थी ना कोई चिंता थी, कट जाता था दिन बस हसी मजाक में, इच्छाएं तो तब भी अधिक थी पर जरूरत कम, पर तब भी मन शांत सा ही रहता था, ना जाने कब वो दौर बीत गया, और आ गए हम एक और दौर में, जहां न तो दिल से मुस्कुराहट निकलती है, ना ही अब दिल में शांति ही है, बस हर तरफ बेबसी बैचनी अनगिनत इच्छाओं का समुंदर सा है, पर जैसे बीता था वो दौर ये भी एक दिन बीत ही जायेगा.... ©Shivendra Gupta #वो_दौर #solotraveller