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White ज़िंदगी के कुछ तार उलझे उलझे से , उन्हें उलझ

White ज़िंदगी के कुछ तार उलझे उलझे से ,
उन्हें उलझे ही रहने दो।
अगर सुलझ गए तो कई राज़ खुल जाएंगे।
चाहता नहीं मैं, कि कोई बेपर्दा हो,
घर की बात घर में ही दफ़न हो जाने दो।

©Dinesh Kumar Pandey  hindi poetry on life
White ज़िंदगी के कुछ तार उलझे उलझे से ,
उन्हें उलझे ही रहने दो।
अगर सुलझ गए तो कई राज़ खुल जाएंगे।
चाहता नहीं मैं, कि कोई बेपर्दा हो,
घर की बात घर में ही दफ़न हो जाने दो।

©Dinesh Kumar Pandey  hindi poetry on life